48 सालों से लगातार जाग रहे रीवा के मोहनलाल द्विवेदी, शरीर को नहीं होता चोट का अहसास; मेडिकल साइंस भी हैरान -

ज्वाइंट कलेक्टर के पद से रिटायर हुए -
 
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File photo

बीते 48 सालों से लगातार जाग रहे रीवा के मोहनलाल द्विवेदी, शरीर को नहीं होता चोट का अहसास; मेडिकल साइंस भी हैरान -

मध्य प्रदेश के रीवा शहर के चाणक्यपुरी कालोनी में रहने वाले मोहनलाल द्विवेदी दावे के मुताबिक वह पिछले 48 सालों से नहीं सोए और उन्हें किसी भी तरह की कोई गंभीर बीमारी भी नहीं है।

रीवा। मध्य प्रदेश के रीवा में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां एक शख्स पिछले 48 सालों से जाग रहा है। रीवा शहर के चाणक्यपुरी कालोनी में रहने वाले मोहनलाल द्विवेदी दावे के मुताबिक वह पिछले 48 सालों से नहीं सोए और उन्हें किसी भी तरह की कोई गंभीर बीमारी भी नहीं है। उन्होंने दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े महानगरों के अस्पतालों में डॉक्टरों से अपनी इस अनोखी बीमारी के बारे में भी बताया लेकिन बड़े-बड़े डॉक्टर भी उनकी बीमारी का पता नही लगा पाए। द्विवेदी को चोट लगने पर शरीर में किसी भी तरह के दर्द का अहसास भी नहीं होता। इतना ही नहीं, मोहनलाल की पत्नी भी दिन में मात्र 3 से 4 घंटे ही सोती हैं।

रिटायर्ड ज्वाइंट कलेक्टर 71 वर्षीय मोहनलाल द्विवेदी की इस बीमारी ने मेडिकल साइंस को पूरी तरह से मात दे दी है। मेडिकल साइंस कहता है कि हर इंसान को स्वस्थ रहने के लिए दिन के 24 घंटे के दरमियान 6 से 8 घंटे नींद लेना बहुत ही आवश्यक है।

 जबकि मोहनलाल द्विवेदी ने एक दिन, एक हफ्ते, एक महीने नहीं, बल्कि 48 सालों में एक पल के लिए भी नहीं सोए। मोहन लाल ने दावा किया है कि वह पिछले 48 सालों से बिल्कुल भी नहीं सोए। इसके बावजूद भी उन्हें किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई और वह पूरी तरह से स्वस्थ जीवन जी रहे हैं और उनकी भी दिनचर्या आम इंसानों की तरह सामान्य है।

ना आंखों में जलन, ना कोई और दिक्कत -

मोहनलाल बताते हैं कि शुरुआती दिनों में उन्होंने यह समस्या किसी को नहीं बताई और वह पूरी रात जागकर बिताते थे। खास बात यह है कि लगातार जागने के बावजूद उनकी आंखों में ना जलन होती और ना ही अन्य दैनिक क्रियाओं पर कोई फर्क पड़ता। कुछ दिन बाद उन्होंने अपनी इस समस्या से घर के लोगों को अवगत कराया तो घर वालों ने पहले झाड़-फूंक कराया, फिर डॉक्टरों को दिखाया। दिल्ली और मुंबई तक के डॉक्टरों को दिखाया गया, कई तरह की जांच कराई गई लेकिन उनकी इस अजीब बीमारी का कोई पता नहीं लग पाया।

ज्वाइंट कलेक्टर के पद से रिटायर हुए -

मोहनलाल की 1973 में लेक्चरर की नौकरी लग गई थी। इसके कुछ दिन बाद ही जुलाई माह से उनकी नींद गायब हो गई। मोहनलाल 1974 में एमपीपीएससी क्वालीफाई कर नायब तहसीलदार बने और 2001 में ज्वाइंट कलेक्टर बनने के बाद रिटायर हुए। मोहनलाल को नींद न आने के साथ ही उन्हें दर्द का भी एहसास नहीं होता। मोहनलाल अधिकांश समय किताबों को पढ़ने में व्यतीत करते हैं और देर रात तक छत पर टहलते रहते हैं। साभार नई ताकत।

मध्य प्रदेश के रीवा शहर के चाणक्यपुरी कालोनी में रहने वाले मोहनलाल द्विवेदी दावे के मुताबिक वह पिछले 48 सालों से नहीं सोए और उन्हें किसी भी तरह की कोई गंभीर बीमारी भी नहीं है।

रीवा। मध्य प्रदेश के रीवा में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां एक शख्स पिछले 48 सालों से जाग रहा है। रीवा शहर के चाणक्यपुरी कालोनी में रहने वाले मोहनलाल द्विवेदी दावे के मुताबिक वह पिछले 48 सालों से नहीं सोए और उन्हें किसी भी तरह की कोई गंभीर बीमारी भी नहीं है। उन्होंने दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े महानगरों के अस्पतालों में डॉक्टरों से अपनी इस अनोखी बीमारी के बारे में भी बताया लेकिन बड़े-बड़े डॉक्टर भी उनकी बीमारी का पता नही लगा पाए। द्विवेदी को चोट लगने पर शरीर में किसी भी तरह के दर्द का अहसास भी नहीं होता। इतना ही नहीं, मोहनलाल की पत्नी भी दिन में मात्र 3 से 4 घंटे ही सोती हैं।

रिटायर्ड ज्वाइंट कलेक्टर 71 वर्षीय मोहनलाल द्विवेदी की इस बीमारी ने मेडिकल साइंस को पूरी तरह से मात दे दी है। मेडिकल साइंस कहता है कि हर इंसान को स्वस्थ रहने के लिए दिन के 24 घंटे के दरमियान 6 से 8 घंटे नींद लेना बहुत ही आवश्यक है।

 जबकि मोहनलाल द्विवेदी ने एक दिन, एक हफ्ते, एक महीने नहीं, बल्कि 48 सालों में एक पल के लिए भी नहीं सोए। मोहन लाल ने दावा किया है कि वह पिछले 48 सालों से बिल्कुल भी नहीं सोए। इसके बावजूद भी उन्हें किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई और वह पूरी तरह से स्वस्थ जीवन जी रहे हैं और उनकी भी दिनचर्या आम इंसानों की तरह सामान्य है।

ना आंखों में जलन, ना कोई और दिक्कत -

मोहनलाल बताते हैं कि शुरुआती दिनों में उन्होंने यह समस्या किसी को नहीं बताई और वह पूरी रात जागकर बिताते थे। खास बात यह है कि लगातार जागने के बावजूद उनकी आंखों में ना जलन होती और ना ही अन्य दैनिक क्रियाओं पर कोई फर्क पड़ता। कुछ दिन बाद उन्होंने अपनी इस समस्या से घर के लोगों को अवगत कराया तो घर वालों ने पहले झाड़-फूंक कराया, फिर डॉक्टरों को दिखाया। दिल्ली और मुंबई तक के डॉक्टरों को दिखाया गया, कई तरह की जांच कराई गई लेकिन उनकी इस अजीब बीमारी का कोई पता नहीं लग पाया।

ज्वाइंट कलेक्टर के पद से रिटायर हुए -

मोहनलाल की 1973 में लेक्चरर की नौकरी लग गई थी। इसके कुछ दिन बाद ही जुलाई माह से उनकी नींद गायब हो गई। मोहनलाल 1974 में एमपीपीएससी क्वालीफाई कर नायब तहसीलदार बने और 2001 में ज्वाइंट कलेक्टर बनने के बाद रिटायर हुए। मोहनलाल को नींद न आने के साथ ही उन्हें दर्द का भी एहसास नहीं होता। मोहनलाल अधिकांश समय किताबों को पढ़ने में व्यतीत करते हैं और देर रात तक छत पर टहलते रहते हैं। साभार नई ताकत।